जिसका कभी क्षय ना हो वही अक्षय है
अक्षय तृतीया
दिनाक 24.04.12 मंगलवार वैशाख मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि
इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। यदि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोषकाल तक रहे तो श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। यह व्रत दानप्रधान है। इस दिन अधिकाधिक दान देने का बड़ा माहात्म्य है। इसी दिन से सतयुग का आरंभ होता है इसलिए इसे युगादि तृतीया भी कहते हैं। इस दिन सभी देवताओं व पित्तरों का पूजन किया जाता है। पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में है। भगवान नर-नारायण को सत्तू दान किए जाने की भी परंपरा है। अक्षय तृतीया पर मिट्टी के जल पात्रों का दान आदि करने का विशेष महत्व है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पंडितों के अनुसार 16 संस्कारों में विवाह संस्कार प्रमुख है ओर आखा तीज (अक्षय तृत्या) विवाह हेतु अभूज सावा (महूरत) है। शास्त्रों में कई प्रकार के दान का उल्लेख किया गया है, लेकिन विशेष तिथि या दिवस के दान भी बताए गए हैं। अक्षय तृतीया पर जल भरी लाल मटकी, फल (विशेषकर खरबूजा), दक्षिणा, वस्त्र इत्यादि का दान ब्राह्मणों को करना चाहिए। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल अक्षय रूप से मिलता है।
- हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
- नर-नारायण ने भी आज ही अवतरण लिया था।
- आज ही सतयुग & त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
- आज ही श्री बद्रीनारायण & केदारनाथ धाम के पट खुलते हैं।
- भगवान विष्णु के दशा अवतार में से पंचम अवतरण श्री परशुराम का अवतरण भी आज ही हुआ था।
- वृंदावन के श्री बाँके-बिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
अक्षय तृतीया का माहात्म्य
- जो मनुष्य इस दिन नदी, पवित्र सरोवर अथवा सागर स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन भगवान परशुरामजी की विधिवत पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।
- शुभ, पूजनीय नवीन कार्य जैसे मूर्ति स्तःपना ग्रह प्रवेश कार्य इस दिन होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
- श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करें
- ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
- इस दिन गंगा स्नान अथवा समुद्र स्नान करना चाहिए।
- आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
- नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।
- प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, तरबूजा (मतीरा), तिल लड्डू, नारियल के लड्डू, ककड़ी, चीनी, छाता, खरबूजा, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
अक्षय तृतीया व्रत कैसे करें
- व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
- घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र या शुद्ध जल से स्नान करें।
- घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
निम्न मंत्र से संकल्प करें-
ममाखिल-पाप-क्षय-पूर्वक सकल शुभ फल प्राप्तये भगवत्प्रीति-कामनया देवत्रय-पूजन-महं करिष्ये।
- संकल्प करके भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएँ।
- षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
- भगवान विष्णु को सुगंधित पुष्पमाला पहनाएँ।
- नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें।
- अगर हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का जप करें।
- अंत में तुलसी दल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करनी चाहिए। इसके पश्चात उपवास रहें।
अक्षय तृतीया पर विशेष
अक्षय तृतीया के पर्व पर लक्ष्मी जी की आराधना से धन में स्थायित्व आता है & जीवन पर्यंत धन की कमी नहीं रहती, व्यापार वृद्धि, पर्याप्त धनार्जन के पश्चात् भी धन संचय न होना, आर्थिक उन्नति के लिए, ऋण, दरिद्रता दूर करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी जी की उपरोक्त मंत्र-जप से आराधना करें ताकि धन-धान्य से घर अक्षुण बना रहे।
श्री सूक्त
लक्ष्मी सूक्त
कनक धारा स्तोत्र
ॐ श्रीं ह्वीं दारिद्य विनाषिन्ये
धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:।।
ॐ ऎं श्रीं क्लीं सौं: श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।।
ॐ ॐ ऎं ऎं श्रीं श्रीं ह्वीं ह्वीं पारदेष्वरी सिद्धि ह्वीं ह्वीं श्रीं श्रीं ऎं ऎं।।
ॐ ह्वीं ह्वीं श्रीं श्रीं पारद श्री यंत्राय श्रीं श्रीं ह्वीं ह्वीं ॐ।।
ॐ श्रीं ह्वीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।।
ॐ श्रीं श्रियै नम:।।
कनक धारा स्तोत्र
ॐ श्रीं ह्वीं दारिद्य विनाषिन्ये
धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:।।
ॐ ऎं श्रीं क्लीं सौं: श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।।
ॐ ॐ ऎं ऎं श्रीं श्रीं ह्वीं ह्वीं पारदेष्वरी सिद्धि ह्वीं ह्वीं श्रीं श्रीं ऎं ऎं।।
ॐ ह्वीं ह्वीं श्रीं श्रीं पारद श्री यंत्राय श्रीं श्रीं ह्वीं ह्वीं ॐ।।
ॐ श्रीं ह्वीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।।
ॐ श्रीं श्रियै नम:।।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य व चंद्रमा दोनों ही सर्व महत्वपूर्ण ग्रह है। चंद्रमा मन का स्वामी व समस्त परिणामों को प्रत्यक्ष रूप से शीघ्रता से प्रभावित करता हैं वहीं सूर्य नक्षत्र मंडल के स्वामी व केन्द्र है, साथ ही दोनों ही ग्रह प्रत्यक्ष देवों की श्रेणी में आते हैं। अक्षय तृतीया को उक्त दोनों ही ग्रह अपनी उच्च राशि में होते हैं यही कारण है कि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि अक्षय तृतीया बुधवार या शुक्रवार को आती है तो यह और भी पुण्य फलदायी होती है।
very nice
ReplyDeleteThank You Seema Ji & Stay Tuned
Deletenice n came to know so many things.. thatk you for sharing Kamal ji
ReplyDeletebahut achhi Jankaari guru ji...
ReplyDeleteधन्यवाद जीतेन्द्र जी :)
DeleteVedic sanskriti ke prachar evam prasar mein aapko kamyabhi mile. Ved Mata Gayatri aapko har sukh, soubhagya aur santushti pradhan kare.
ReplyDeleteधन्यवाद कृष्णमूर्ति जी :)
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